Mera Sach
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ये तो होना ही था , अभी ३० मरे हैं आगे न जाने कितने मरेंगे। आप जब तक धर्म और जाति के आधार पर नेता चुनेंगे तब तक यही नंगा नाच होगा। क्यूंकि आपको सुविधाएँ चाहिए ही नहीं आपको चाहिए मंदिर मस्ज़िद , गाय और घरवापसी , तीन तलाक़ और हज हाउस। तो ले लो ये सब और चांटो इन्हें बैठकर। हमारी दिक़्क़त ये नहीं है कि हम समर्थन करते हैं किसी पार्टी या नेता का , दिक़्क़त ये है कि हम चमचे बन जाते है। यही होगा, दुःख हो रहा है आज तो होने दो , और इस पर भी सबसे क़माल ये होगा कि कुछ चमचे टाइप लोग अब भी बचाने की कोशिश करेंगे अपने नेता को। मति मारी गई है हमारी, 2017 में भी हम वहीँ अटके हैं जहाँ 1947 में थे। अब हमें सवाल करना होगा कि हमने आपको राज्य क्यों सौंपा था। ये लापरवाही सरकार की नहीं , हमारी अपनी लापरवाही है।
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